तिहाड़ की तर्ज पर हरिद्वार में बनेंगे हाई सिक्योरिटी बैरक, परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर

दिल्ली की तिहाड़ जेल की तर्ज पर उत्तराखंड में पहली हाई सिक्योरिटी बैरक बनने जा रहे हैं। इन बैरकों की सुरक्षा इतनी कड़ी रहेगी कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। यह बैरक जिला कारागार हरिद्वार में बनाए जा रहे हैं। जेलों में बैठे कुख्यात अपराधियों की ओर से चलाए जा रहे गैंग व जेल स्टाफ से मिलकर रंगदारी व नशे का कारोबार को खत्म करने के लिए सरकार की ओर से यह निर्णय लिया गया है। 2025 तक हाई सिक्योरिटी बैरक बनकर तैयार हो जाएंगे। जेलों में तमाम सुरक्षा प्रबंध के बावजूद मोबाइल का इस्तेमाल, रंगदारी की शिकायतें, लड़ाई झगड़े के मामले व नशे पर रोकथाम नहीं लग पा रहा है। इसी समस्या को देखते हुए जेल में रहकर अपराध करने वाले कुख्यात अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए यह बैरक बनाए जा रहे हैं।

पूर्व में हरिद्वार, अल्मोड़ा और पौड़ी जेल में मोबाइल के इस्तेमाल, रंगदारी मांगने, हत्या की फिरौती जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। घटनाओं के बाद जेल प्रशासन की ओर से या तो स्टाफ को बदल दिया जाता है या फिर कैदियों को इधर-उधर किया जाता है।जेलों में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए आइजी जेल (सेवानिवृत्त) पुष्पक ज्योति की ओर से देहरादून की सुद्धोवाला जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। प्रस्ताव को हरी झंडी मिल चुकी है और यह बैरक सुद्धोवाला जेल की बजाए जिला कारागार हरिद्वार में बनाने का निर्णय लिया गया है।
प्रस्ताव के तहत प्रदेश की 11 जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों के लिए 50 बैरक बनाए जाएंगे। प्रदेश में इस समय 15 ऐसे कुख्यात कैदी हैं, जो जेलों में रहकर गैंग का संचालन कर रहे हैं। इनके लिए हाई सिक्योरिटी बैरक में अलग-अलग बैरक की व्यवस्था की जाएगी। बैरकों में बाहर तलाशी से लेकर हाई रेज्यूलेशन के कैमरे, स्केनर और जैमर लगाए जाएंगे।

बाहर की फोर्स करेगी सुरक्षा
जेल प्रशासन ने बैरकों में सुरक्षा के लिए बाहर से फोर्स तैनात करने की योजना बनाई है। इसमें पीएसी या आइआरबी की फोर्स का ट्रेंड स्टाफ शामिल किया जा सकता है। बैरकों की 24 घंटे गिनरानी जेल अधीक्षक करेंगे। वहीं, आइजी जेल नियमित तौर पर अपडेट लेते रहेंगे। मौजूदा समय में जेलों में अपराध होने पर अक्सर जेल स्टाफ का ही हाथ सामने आता है। प्रदेश की 11 जेलों में न तो पर्याप्त संख्या में जेल अधीक्षक तैनात हैं, और ना ही जेलर। जेल प्रशासन के सामने यह भी समस्या है कि कार्रवाई करने के बाद किसे कैदियों की सुरक्षा में लगाया जाए।

उत्तराखंड के जेलों में यह कुख्यात अपराधी हैं बंद
प्रदेश के 11 जेलों में इस समय कुख्यात सुनील राठी, चीनू पंडित, प्रवीण वाल्मीकि, नरेंद्र वाल्मीकि, कलीम, इंतजार पहलवान, सुनील राठी के कई गुर्गे, प्रकाश पांडेय, भूपिंदर उर्फ भुप्पी सहित अन्य शामिल हैं। इन पर जेल प्रशासन के साथ-साथ इंटेलीजेंस व एसटीएफ भी लगातार नजर बनाए हुए है।